कोरोना महामारी से रहें और अधिक सावधान, तभी होगा समस्या का समाधान।
अमेठी, 5 नवंबर 2020 सावधान, जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष दुबे ने बताया कि कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है । कोरोना को मात देने के लिए जरूरी है कि हम सरकार और स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों में सहयोग करें । इसके साथ ही उनके द्वारा बताए गए नियमों और बचाव के उपायों को अपनाएं जिससे खुद सुरक्षित रहने के साथ दूसरों को भी सुरक्षित बना सकें । शारीरिक दूरी का पालन करें और मास्क जरूर लगायें। जनपद में कोरोना पॉज़िटिव व्यक्तियों की संख्या घटनी शुरू हो गई है । इसके बावजूद जब तक इसके लिए कोई वैक्सीन नहीं आ जाती है तब तक सभी को इससे बचाव करना जरूरी है । अगर बच्चों की बात करें तो किसी भी बीमारी का नाम सुनते ही बच्चों की सुरक्षा का सबसे पहले ध्यान आता है । यदि घर के माता-पिता दोनों ही कोरोना की चपेट में आ जाएं तो ऐसे में बच्चों की सुरक्षा को लेकर डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसी परस्थिति में बस कुछ बातों का खास ध्यान रखना होगा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि एक वर्ष तक के बच्चों को जो माँ के दूध पर निर्भर रहता है उसे माँ से दूर न करें। अगर माँ और बच्चा दोनों ए-सिम्पटोमैटिक यानि बिना लक्षण वाले हों तो सामान्य सावधानियाँ बरतें और इलाज कराते रहें। अगर माँ की स्थिति गम्भीर हो तो उसे अस्पताल में भर्ती कराएँ। ऐसी स्थिति में बच्चे को माँ से अलग रखने की आवश्यकता है, इसमें उनके नजदीकी रिश्तेदार या दोस्त उनकी मदद करें। ऐसे में बच्चा भी बीमार है तो उसको माँ के साथ ही, पूरी तरह से अलग रखकर इलाज किया जाये। एक वर्ष से ऊपर के बच्चे जिनके माता-पिता दोनों कोरोना पॉज़िटिव होते हुये भी ए-सिम्पटोमैटिक हैं और बच्चा निगेटिव है तो उसकी देखभाल माता-पिता से अलग उनके करीबी रिश्तेदार या दोस्त को करना चाहिए। डॉ कुमार ने बताया कि यदि बच्चा भी पॉज़िटिव है लेकिन ए-सिम्पटोमैटिक है तो उसकी भी सामान्य रूप से माता-पिता के साथ ही इलाज की व्यवस्था की जानी चाहिए। बच्चा यदि सिम्पटोमैटिक है बीमारी के लक्षण दिखायी दे रहे हैं तो उसकी देखभाल एवं इलाज एक रोगी के रूप में निकट संबंधियों या परिवार की देखरेख में की जानी चाहिए। इनमें से किसी एक या सभी के गंभीर रूप से बीमार होने पर उन सभी का इलाज एवं देखभाल अलग–अलग उनकी अपनी स्थिति के अनुसार किया जाना चाहिये।